पर्यावरण
राख का उपयोग
राख का स्थायी उपयोग एन टी पी सी का प्रमुख विचारणीय विषय है। वर्ष 1991 में स्थापित राख उपयोगिता प्रभाग (ए यू डी) अपने कोयला आधारित पावर स्टेशनों पर बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादित राख का अधिकतम उपयोग करने का प्रयास करता है। ए यू डी, राख के उपयोग के लिए अत्यंत सक्रियतापूर्वक नीतियां, योजनाएं और कार्यक्रम तैयार करता है। इसके अतिरिक्त इन गतिविधियों में हुई प्रगति की निगरानी करता है तथा राख के उपयोग के लिए नए घटक विकसित करने के संबंध में काम करता है। प्रत्येक स्टेशन पर राख उपयोगिता विभाग, राख उपयोग से जुड़ी गतिविधियां संभालता है।
एन टी पी सी के पावर स्टेशनों पर उत्पादित राख की गुणवत्ता, इसके परिष्करण, निम्न अदहित कार्बन के संबंध में अत्यधिक अच्छी होती है तथा इसमें उच्च पोजोलैनिक क्रियाकलाप मौजूद होने के कारण यह सीमेंट, सीमेंट मोरटार तथा कंक्रीट में पोजोलाना के रुप में प्रयोग आई एस 3812-2003 पलवराइज्ड ईधन राख की आवश्यकता के अनुरुप होती है। एन टी पी सी स्टेशनों पर उत्पादित राख (उड़न राख) सीमेंट, कंक्रीट, कंक्रीट उत्पाद, सेल्युलर कंक्रीट उत्पाद, ईंट/ब्लाक/टाइल आदि के विनिर्माण में इस्तेमाल के लिए आदर्श सामग्री है। अंतिम प्रयोगकर्ताओं को शुष्क राख (ड्राई ऐश) उपलब्ध कराने के लिए कोयला आधारित स्टेशनों पर उसे उठाने और भंडारण करने की प्रणाली विकसित की गई है। इसके अतिरिक्त, एन टी पी सी रिहंद में रेल वैगनों में शुष्क राख की लदान के लिए सुविधा उपलब्घ कराई गई है ताकि रेलवे नेटवर्क के जरिए बड़ी मात्रा में उड़न राख ले जाई जा सके। ऐसी सुविधा नए स्थापित किए जाने वाले कोयला आधारित सभी पावर स्टेशनों पर भी उपलब्ध कराई जा रही है।
पिछले अनेक वर्षों में राख उपयोग का स्तर 1991-1992 में मात्र 0.3 मिलियन टन की अल्प मात्रा से बढ़ कर 2010-11 में 26.03 मिलियन टन हो गया है।
राख उपयोग के विभिन्न घटकों में वर्तमान में सीमेंट, एस्बेस्टस – सीमेंट उत्पाद और कंक्रीट विनिर्माण उद्योग, भूमि विकास, सड़क तटबंध निर्माण, ऐश डाईक रेजिंग, भवन निर्माण सामग्री जैसे कि ईंट/ब्लाक/टाइल, कोयले की खानों का पुन:उद्धार तथा कृषि में मृदा सुधार की सूक्ष्म तथा स्थूल पोषक तत्वों के स्रोत के रुप में उपयोग किया जाना शामिल है।


पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार ने अपनी 3 नवम्बर, 2009 की अधिसूचना (संशोधित) द्वारा निम्नलिखित को अनिवार्य बना दिया है:
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किसी कोयला ताप विद्युत संयंत्र के 100 कि.मी. के दायरे में
- सभी निर्माण परियोजनाओं में उड़न राख आधारित भवन निर्माण उत्पाद जैसे कि सीमेंट या कंक्रीट, उड़न राख ईंटें, ब्लाक, टाइल आदि का इस्तेमाल करना
- सड़क या फ्लाई ओवर तटबंध के निर्माण में उड़न राख का इस्तेमाल करना
- निचले क्षेत्रों के सुधार के लिए उड़न राख का इस्तेमाल करना।
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किसी कोयला ताप विद्युत संयत्र के 50 कि.मी. के भीतर
- भूमिगत खदानों और खुली खदानों की बैक फिलिंग के लिए उड़न राख का इस्तेमाल करना।
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इस अधिसूचना के अनुपालन के लिए वित्तीय संस्थाएं अपने ऋण दस्तावेजों में एक खंड जोड़ेंगी।
बड़ी परियोजनाएं जहां उड़न राख का इस्तेमाल किया गया है:
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सड़क तटबंध निर्माण तथा भराई सम्बन्धी निर्माण कार्य:
- इलाहाबाद बाई पास रोड के लिए एन एच ए आई द्वारा एन टी पी सी ऊंचाहार स्टेशन की 67 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई है।
- नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे में एन टी पी सी बदरपुर स्टेशन की 20 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई है।
- दूसरे निजामुद्दीन पहुंच मार्ग तटबंध में इंद्रप्रस्थ थर्मल पावर स्टेशन की लगभग 1.5 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई है।
- यमुना एक्सप्रेसवे तथा बदरपुर फ्लाई ओवर में एन टी पी सी बदरपुर स्टेशन की लगभग 5.0 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई है।
- दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डी एम आर सी) द्वारा अपने शास्त्री पार्क रेल पार्क डिपो के लिए एन टी पी सी बदपुर स्टेशन की 15 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई।
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कंक्रीट कार्य:
- डी एम आर सी द्वारा सभी भूमिगत कंक्रीट कार्यो के लिए एनटीपीसी दादरी स्टेशन की उड़न राख इस्तेमाल में लाई जा रही है।
- सभी रेडी मिक्स कंक्रीट संयंत्रों (आर एम सी) द्वारा उड़न राख का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- ए सी सी द्वारा अपने ग्रेटर नोएडा स्थित आर एम सी संयंत्र के कंक्रीट रोड में उड़न राख का इस्तेमाल किया गया है।
- देहरा झाल से एन टी पी सी दादरी तक कंक्रीट रोड के निर्माण में उड़न राख का इस्तेमाल किया गया है।
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भवन निर्माण कार्य
- ग्रेटर नोएडा इंडास्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (जी एन आई डी ए) के प्रशासनिक भवन का निर्माण उड़न राख ईंटों से किया गया है।
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एन टी पी सी द्वारा अपने भवनों के निर्माण कार्यो में उड़न राख ईंटों का उपयोग किया गया ।
- ग्रेटर नोएडा में NETRA
- नोएडा टाउनशिप में 'डी' प्रकार के आवासीय क्वार्टर्स
- लखनऊ में उत्तरी क्षेत्र का मुख्यालय
- सभी परियोजनाएं एवं टाउनशिप निर्माण
- बहुत से महानगरीय शहरों जैसे कि पुणे, विशाखापट्टनम और एन सी आर क्षेत्रों में निजी क्षेत्र में रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा आवासीय परिसरों के निर्माण में उड़न राख ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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खानों का भरना:
- साउथ बलन्दा खान में एन टी पी सी तालचर-कोयला ताप संयंत्र की राख भरी जा रही है।
राख के उपयोग के दीर्घकालिक क्षमता वाले नए घटकों के विकास के लिए निम्नलिखित अनुसंधान किए जा रहे हैं:
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रेलवे तटबंध:
रेलवे तटबंध के निर्माण में राख के उपयोग को प्रदर्शित करने के लिए केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सी आर आर आई), नई दिल्ली के साथ मिलकर अनुसंधान अध्ययन किया गया था। सी आर आर आई द्वारा विकसित किए गए रेलवे तटबंध की डिजाइन को आई आई टी, बाम्बे में सेंट्रीफ्यूज मॉडल टेस्ट कर विधिमान्यता दी गई। कोयले के परिवहन के लिए एन टी पी सी के मेरी गो राउंड (एम जी आर) रेल ट्रैक के लिए तटबंध के निर्माण की योजना एन टी पी सी कहलगांव और एन टी पी सी तालचर-कनीहा में बनाई गई है।
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खानों को भरना:
- दीर्घकालिक आधार पर विद्युत संयंत्रों से राख ले जाने के लिए तकनीकी आर्थिक दृष्टि से इष्टतम तरीके को अंतिम रुप देने के लिए मेसर्स डेजिन द्वारा तालचर कनीहा में व्यवहार्यता अध्ययन किया जा रहा है।
- एन टी पी सी रामागुंडम से मेडापल्ली खान में खदान ओवर बर्डन के साथ राख की औचक भराई के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शन परियोजना शुरु करने के लिए केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान (सी आई एम एफ आर), धनबाद द्वारा अनुसंधान कार्य किया जा रहा है।
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प्री स्ट्रेस्ड रेलवे कंक्रीट स्लीपर:
आई आई टी कानपुर के साथ संयुक्त रुप से प्री-स्ट्रेस्ड रेलवे कंक्रीट स्लीपर के विनिर्माण में उड़न राख के इस्तेमाल का प्रदर्शन किया गया।
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राख आधारित बिटूमिनस रोड:
सी आर आर आई के सहयोग से एन टी पी सी बदरपुर और दादरी में उड़न राख आधारित बिटूमिनस सड़कों के निर्माण के लिए प्रदर्शन परियोजना शुरु की गई है।
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राख निर्मित ईंटें/टाइल:
एन आई आई एस टी त्रिवेंद्रम के सहयोग से एन टी पी सी रामागुंडम में फ्लक्स बांडेड ईंटों/टाइल में उड़न राख के इस्तेमाल के लिए अनुसंधान अध्ययन किया गया है।
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एच डी पी ई उत्पाद:
आई आई टी दिल्ली के माध्यम से एन टी पी सी विंध्याचल द्वारा एच डी पी ई उत्पादों के विनिर्माण में उड़न राख के इस्तेमाल के लिए अध्ययन कराया जा रहा है।
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कृषि में राख के इस्तेमाल पर शो केस प्रोजेक्ट्स:
प्रतिष्ठित कृषि संस्थाओं/विश्वविद्यालयों के सीधे मार्गदर्शन में स्थानीय किसानों के सहयोग से “शो केस प्रोजेक्ट्स” के माध्यम से मृदा के शोधक के रुप में तथा सूक्ष्म तथा स्थूल पोषक तत्वों के स्रोत के रुप में कृषि में उड़न राख के इस्तेमाल का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया है।
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय के सहयोग से एन टी पी सी सिम्हाद्रि में
- एन डी कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद (उ.प्र.) के सहयोग से एन टी पी सी ऊंचाहार में
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय के सहयोग से एन टी पी सी तालचर-थर्मल में
- अन्नमलाई विश्वविद्यालय के सहयोग से एन टी पी सी विंध्याचल में
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय के सहयोग ही एन टी पी सी दादरी में
अलग-अलग कृषि जलवायु की परिस्थितियों और भिन्न-भिन्न मृदा- फसल संयोजनों में विभिन्न फसलें उगाई गई हैं तथा फसल की पैदावार में निम्नलिखित वृद्धि देखने को मिली है:
क्र.सं. | फसल का नाम | पैदावार में वृद्धि |
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1 | गेहूं | 16 - 22% |
2 | धान | 10 - 15% |
3 | गन्ना | 20 - 25% |
4 | केला | 25 - 30% |
5 | मक्का | 30% से अधिक |
6 | सब्जियां | 10 - 15% |
विभिन्न घटकों में संसाधन सामग्री के रुप में उड़न राख के अनेक प्रकार के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देने तथा प्रचार करने तथा राख के भावी उपयोगकर्ताओं एवं उद्यमियों में जागरुकता उत्पन्न करने के लिए ए यू डी द्वारा संवर्धन के निम्नलिखित उपाय किए गए हैं: